सृष्टि का निर्माण और मनुष्य?
सृष्टि का निर्माण क्यों? यह बहुत ही गंभीर प्रश्न है। यह बड़ा ही रहस्य पूर्ण विषय है किन्तु इसके सम्बन्ध में ऋग्वेद के१०वें मण्डल के १२९वें सूक्त के मन्त्रों में प्रकाश डाला गया है, जिसमें ऋषि ने बताया है कि सृष्टि का निर्माण कब, कहाँ, क्यों और किससे हुआ? नासदीय सूक्त के मन्त्रों में कहा है कि--- सृष्टि के पहले ईश्वर के मन में सृष्टि की रचना का संकल्प हुआ अर्थात इच्छा पैदा हुई क्योंकि पुरानी कर्म राशि का संचय जो बीज रूप में था, सृष्टि का उपादान कारण भूत हुआ। यह बीजरूप सत पदार्थ रूप ब्रह्मरूपी असत से पैदा हुआ।।४।। सूर्य की किरणों के समान सृष्टि बीज को धारण करने वाले पुरुष भोक्ता हुए और भोग्य वस्तुएं उत्पन्न हुई। इन भोक्ता और भोग्य की किरणें ऊपर नीचे आड़ी तिरछी फैलीं।इनमें चारों तरफ भोग्यशक्ति निकृष्ट थी और भोक्तृशक्ति उत्कृष्ट थी।।५।। यह सृष्टि किस विधि से और किस उपादान से प्रकट हुई? यह कौन जानता है? कौन बताए? किस की दृष्टि वहां पहुंच सकती है? क्योंकि सभी इस सृष्टि के बाद ही उत्पन्न हुए हैं, इसलिए यह सृष्टि किस से उत्पन्न हुई है? यह कौन जानता है?।...