कहाँ हो भगीरथ?(गंगा की पुकार)

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- हे अर्जुन स्रोतों अर्थात जल की समस्त नदियों में मैं गंगा हूं। गंगा मात्र एक नदी नहीं है, अपितु वह हमारी आस्था, श्रद्धा और विश्वास का एक दिव्य ने प्रवाह है। हमारे ऋषियों(ब्राह्मणों) ने कोई गंगा को यूं ही पवित्र नदी घोषित नहीं किया होगा। यह तो वर्षों के अनुसंधान करने के पश्चात इसे देव नदी घोषित किया। हरकी पैड़ी, हरिद्वार भारत की प्राय: सभी भाषाओं के कवियों ने गंगा जी का की गुणगान किया है। मैथिल कोकिल विद्यापति जी ने श्री गंगा जी की स्तुति करते हुए कहा है कि- करब जप तप धेआन, जनम कृतारथ एक ही सनान। भन विद्यापति समदओं* तोहि, अंत काल जनु विसरहु मोही।। (*) समदओं-प्रार्थना करता हूँ। युगों युगों से गंगा पृथ्वी पर निर्मल बहती आ रही है किंतु विशेष रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से गंगा अत्यंत प्रदूषित हो गई है। इसका कारण क्या है? इसका एकमात्र कारण है कि हमने अपने पूर्वजों के बताए हुए मार्ग का अनुसरण नहीं किया। हमारे प्राणों में गंगा जी का यशोगान तो है ही, वहीं दूसरी ओर इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए भी कुछ नियम बनाए। त्रिवेणी घाट,ऋषिकेश यथा- शौचम...