भारतीय संस्कृति में तिलक धारण का महत्त्व
भारतीय संस्कृति में तिलक धारण की परम्परा चिरकाल से चली आ रही है। इसका महत्व इससे ही ज्ञात हो जाता है कि भगवान श्री कृष्ण भी कस्तूरी का तिलक धारण करते हैं। इसलिये प्रबुद्ध पाठक तनिक विचार करें कि स्वयं भगवान तिलक धारण करते हैं तो उनके भक्त बिना तिलक के क्यों? इसलिए सभी को तिलक धारण करना चाहिए। अमरकोश के द्वितीय कांड में तिलक के चार नाम बताये हैं। १.तमालपात्र २.तिलक ३.चित्रक ४.विशेषक बिना तिलक के किये गए धार्मिक कार्य निष्फल हो जाते हैं। तिलक रोली, चन्दन, गंगा की मिट्टी,यज्ञ भस्म, खड़िया मिट्टी , और सिन्दूर से लगाना चाहिए। भारत में मुख्यतः तीन सम्प्रदाय हैं----- १.वैष्णव (ऊर्ध्व पुण्ड्र) २.शैव (त्रिपुण्ड्र) ३.शाक्त (बिन्दु) शीतऋतु में उष्ण द्रव्यों से जैसे केसर ,गोरोचन,कस्तूरी आदि से लगाना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में कर्पूर युक्त तिलक लगाना चाहिए,जिससे मस्तक प्रदेश का पित्त सक्रिय रहे तथा ग्रीष्म ऋतु में कर्पूर युक्त द्रव्य का तिलक लगाना चाहिए। जिससे सिरदर्द, रक्तचाप, नेत्र की जलन आदि से बच सकें। तिलक नाभि के नीचे के अंगों को छोड़कर लगाया जाता है। इससे अंगविशे...