उसने कहा था- एक कहानी
अरे! यह कौन आ गया सीधे। किसी से बिना पूछे केबिन में चला आया। (आश्चर्य से) सहकर्मी से धीरे से कहते हुए- सर! जरा देखो कोई अपरिचित व्यक्ति अंदर घुस आया है। ऐसा कुलदीपिका ने कहा। अब आप पूछेंगे? यह कुल कुलदीपिका कौन है? हम इस अपरिचित व्यक्ति के परिचय के साथ ही कुलदीपिका का भी परिचय देंगे। जैसे ही उसने सहकर्मी से कहा- तब सहकर्मी ने देखकर कहा कि यह भी इसी बैंक में कार्य करते हैं और बाहर से आए हैं। वास्तव में यह जो अपरिचित व्यक्ति है उसका नाम मानव है और वह लगभग 10 दिनों के बाद बाहर से एक विशेष निजी कार्य से लौटकर आये हैं। शांत स्वभाव, सबका सहयोगी और कुलदीपिका जिसे हम आगे केवल दीपिका नाम से संबोधित करेंगे; वह इस शहर में नई है तथा उसकी नौकरी इसी बैंक में लगी है। वह एक चंचल स्वभाव, हंसमुख, सौंदर्यशाली है। उसकी आकर्षक मुस्कान जो देखे देखता रह जाए, ऐसी है। धीरे धीरे मानव और दीपिका के परस्पर संवाद होने लगे पाठकगण! यह कैसे और क्यों होता है? कोई अच्छा लगता क्यों है? किसी से अधिक वार्तालाप भी समाज के लोगों में कौतूहल पैदा क्यों करता है? किसी को देखना, मुस्कुराना उससे बातें करना क्यों कौतूहल का वि...