वो कौन थी?- एक कहानी
वो कौन थी?
गांव की कच्ची पगडंडियों से होते हुए मानव आम के बगीचे में पहुँच गया। अभी आम का मौसम शुरू ही हुआ था कि अचानक बहुत तेज आँधी आ गयी। उसके बाद सभी ने अनुमान लगाया कि आज बहुत से कच्चे आम , जिन्हें अमिया कहते हैं, गिरी होंगी। कच्चे आम किसे पसन्द नहीं । आप बतायें क्या आपको पसन्द हैं? ज्यों ही मानव यह प्रश्न किया त्यों ही बाग के ठीक मध्य भाग से आवाज आयी। हाँ पसन्द हैं। वह उस स्वर की खोज में गया किन्तु वहाँ कोई नहीं। तभी अचानक देखा कि कोई लड़की पीत परिधान में तेजी से दौड़ती हुयी जा रही है। वह दृश्य देखने लायक था। ऐसा लग रहा था मानो बाग में एक बहुत से कच्चे आमों के बीच एक पीत वर्ण का सुन्दर आम हो। उसकी छटा शोभनीय होती है, कल्पना करें। फिर मानव उसे देख नहीं सका। और वो चली गयी।
वो कौन थी?
उसके बाद मानव आम के बाग में दिखाई देने वाली उस लड़की के बारे में सोचता है। वह किसी से पूछना भी चाहता है किन्तु संकोचवश किसी से कुछ नहीं कहता। वह सोचता है लोग कहेंगे- क्या, क्यों और कैसे? जब वह स्वयं उसके विषय में नहीं जानता तो लोगों को क्या बताएगा? अतः स्वयं ही पता लगाने का प्रयास करता है। वह दूसरे दिन प्रातः ही उस आम के बाग में पहुंच गया किन्तु वहाँ बाग के मालिक के अलावा कोई दिखायी न दिया। वहाँ बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद वह उदास मन होकर वह उसी कच्ची पगडण्डी से घर की ओर लौटने लगा। तभी अचानक कदम्ब के एक बड़े पेड़ नीचे पहुंचने पर उसने किसी लड़की के हँसने की आवाज सुनी। पहले उसने इधर उधर देखा फिर अपना भ्रम समझ आगे बढ़ने लगा। तभी वही हंसने का स्वर पुनः सुनाई दिया। इस बार मानव रुका ओर उसने ऊपर की ओर दृष्टि की। उसने देखा एक आसमानी परिधान में एक लड़की उस कदम्ब के पेड़ पर चढ़ी हुई थी। मानव ने उससे पूछा- आपका नाम क्या है? किंतु वह कुछ नहीं बोली। उसने पुनः प्रश्न किया किन्तु कोई उत्तर नहीं। वह वही लड़की है या नहीं यह भी कहा नहीं जा सकता था क्योंकि मानव ने उसे देखा ही नहीं था। इस बार भी वह उसे नहीं देख सका क्योंकि इस बार उसने दुप्पटे से अपना चेहरा छुपा रखा था। मानव ने उसे दुपट्टा हटाने के लिए कई बार कहा भी किन्तु वह न कुछ बोलने को और न दुपट्टा हटाने को तैयार हुई।
इतने में ही उसी मार्ग पर अन्य लोगों के आने की आहट सुनाई देती है और मानव वहाँ से चुपचाप चल देता है। वह अभी भी यही सोच रहा था- वो कौन थी?
मानव वापस लौट आता है। उसका मन उदास है। तभी उसका मकान मालिक आ जाता है। वह उसके उतरे हुए मुँह को देखकर पूछता है कि कोई समस्या है क्या? वह यकायक कहने लगता है कि हाँ!एक समस्या ........(फिर चुप होकर) नहीं नहीं कोई समस्या नहीं।
फिर आप चिंतित से क्यों लग रहे हैं? कुछ नहीं अधिक काम होने के कारण ऐसा लग रहा होगा। उसने उत्तर दिया।
इसके बाद वह अपने काम के निपटारे में लग जाता है उसे आज शाम तक काम पूरा करके एक रिपोर्ट तैयार करके देनी है। लेकिन वह कौन थी? यह बार बार उसे याद आ रहा था। अब उसकी रिपोर्ट तैयार हो गई थी। वह रिपोर्ट देने ही जाने वाला था कि उसका फोन बजा। फोन रिसीव किया तो पता लगा जिनको रिपोर्ट देनी है वह अपने कार्यालय पर नहीं हैं। उधर से आवाज आई कि कल आना।
वह कार्य समाप्त करके भोजन करने के बाद एक कोई उपन्यास पढ़ने लगता है और पढ़ते पढ़ते उसे कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलता।
अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया। एक बार..... दो बार...... तीन बार.......
मानव उठा और उसने दरवाजा खोला। जैसे ही उसने दरवाजा खोला वह कुछ क्षणों के लिए देखता ही रह गया। वहाँ एक लड़की सम्भवतः वही लड़की थी जिसे उसने पहले दिन आम के बाग में पीले परिधान में देखा था। वह कपड़ो के द्वारा ही यह अनुमान कर रहा था। तभी वह बोली- आपका नाम क्या है?
मानव ने कोई उत्तर नहीं दिया । वह भौचक्का सा खड़ा रहा।
उसने पुनः प्रश्न किया तब जाकर उसका ध्यान भंग हुआ। वह उसके आकर्षक व्यक्तित्व को देखता ही रहा। उसकी मुस्कुराहट देखने लायक थी। सामान्य कदकाठी वाली वह लड़की देखने में सुन्दर थी। उसने उसे अंदर बैठाया और मानव ने उससे परिचय पूछा। उसने बताया कि वह इसी गाँव में रहती है। वह एम०ए० अंतिम वर्ष में शहर के एक कन्या महाविद्यालय में पढ़ रही है। वह इसप्रकार बता ही रही थी कि मानव का फोन बज उठा; लेकिन यह क्या? जैसे ही वह उठा वह देखता है कि वह लड़की वहाँ नहीं थी। वास्तव में वह नींद में स्वप्न देख रहा था और एक बार फिर से वह यही सोच रहा था- वह कौन थी? फिर वह सो जाता है।
प्रातः काल मानव जल्दी उठा। उसे याद है कि आज ही उसे वह रिपोर्ट देकर आनी है। इसलिए वो जल्दी जल्दी सभी कार्य करके ठीक दस बजे कार्यालय पहुंच जाता है। उसकी इस आदत से अधिकारी उसकी प्रशंसा भी करता है।
यहाँ मानव की इस बात को पाठक हृदयंगम कर सकते हैं क्योंकि आजकल लड़के लड़कियों में प्रातः न उठना एक फैशन सा हो गया है।
इसके बाद वह अपने विभागीय साथियों के साथ वार्तालाप के लिए एक पार्क में पहुंचता है । मित्रों ने पूछा सारा काम निपट गया अब क्या करने का इरादा है, तो वह बोला करना क्या है? यहाँ से अपना ट्रांसफर अपने गृहनगर में करवाऊंगा।
ट्रांसफर-मित्रों ने एक स्वर में पूछा।
हाँ- अब काम निपट चुका है तो अपने गृहनगर ही पहुचा जाए।
इसके बाद अचानक मौसम ने करवट ली। काले काले बादल छा ने लगे। तभी सभी ने घर जाने के लिए एक दूसरे से विदा ली कि बारिश होने से पहले ही घर पहुंच जाएं।
मानव भी लौटकर गांव में प्रवेश कर चुका था। वह धीरे धीरे पैदल घर की ओर चल दिया। वह उसी आम के बाग के पास पहुंचा ही था कि आचनक तेज आंधी के साथ तेज बारिश आ गयी। तभी मानव ने देखा कि एक गाय का बच्चा बाग के समीप नाले में गिर पड़ा। उसने सहायता के लिए आवाज लगाई लेकिन बारिश इतनी तेज थी कि न कुछ दिखाई दे रहा था न सुनाई।
वह स्वयं उसे बचाने के लिए नाले में कूद पड़ा। बहुत देर प्रयास के बाद वह उसे बचा सकने में सफल हुआ और उसे बाहर निकाल कर छोड़ दिया वह गाय का बच्चा तेजी से दौड़ लगाता हुआ चला गया।
बारिश अब और तेज हो गई जिसके कारण चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देने लगा। पता नहीं चल पा रहा था कि रास्ता किधर है। वह सोचने लगा कि बारिश बन्द होने पर ही जाया जाये किन्तु तब तक कहाँ रुके, यह भी समझ नहीं आ रहा था। तभी उसे आम के बाग में एक मचान दिखाई दी।
वह मचान की ओर उसी पानी मे होते हुए बढ़ने लगा। जैसे ही उसने आधी दूरी पार की होगी वैसे ही उसका पैर किसी गढ्ढे में चला गया। जिसके कारण वह गिर पड़ा ओर उसके चोट लगी लेकिन वह सम्भला और आगे बढ़ने लगा।
मचान के पास पहुंच उसने आवाज दी।
कोई है क्या ?
कोई प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं हुआ।
ऐसा दो तीन बार हुआ और वह मचान पर चढ़ने लगा।
जैसे ही वह मचान पर पहुँचा तभी उसने उसमें एक लडक़ी को देखा यह वही लड़की थी जिसको मानव ने सपने में देखा था।
मानव ने कहा - आप?
उसने कहा - क्या आप मुझे जानते हैं?
नहीं- मानव ने कहा।
मानव पूरा भीग चुका था। इधर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। मचान में वास्तव में एक ही व्यक्ति के लिए जगह थी किन्तु मानव के उसमें जाने से वो और मानव काफी नजदीक आ गये थे।
अधिक देर से भीगने के कारण मानव का शरीर तप रहा था। कि तभी उस लड़की का हाथ मानव के हाथ से लग जाता है।
वह कहती है -अरे आपको तो बुखार आ रहा है।
मानव ने कहा - कोई बात नहीं ।
मुझे यहाँ से जल्दी ही जाना चाहिए
अरे बारिश तो बन्द होने दो।
नहीं, इतनी प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। आपके पिताजी होते तो बात कुछ और थी।
मुझे चलना चाहिए क्योंकि यहाँ हम दोनों अकेले हैं। किसी ने यदि देख लिया तो ठीक नहीं है और मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण आपको कोई समस्या हो।
अरे आप और मैं एक दूसरे को जानते ही नहीं तो लोग क्या कहेंगे।
वही तो कि कोई नहीं जानता ?
अरे मैं कोई बच्ची थोड़े ही हूँ।
जी, आप बच्ची नहीं है इसलिए और सोचना पड़ेगा।
अरे छोड़ो कोई और बात करो।
आपका नाम क्या है?
मानव
और आपका
तभी वो नाम बताने ही वाली थी कि अचानक एक तेज हवा का झोंका आया और दोनों एक साथ मचान से नीचे आम के बाग में गिर पड़े।।
मानव उठकर खड़ा हो जाता है।
और उस लड़की की ओर देखता है।
वह भी उसे देखती है।
मानव- क्या नाम बताया आपने?
जरा सा गुस्सा दिखाते हुए
कोई नाम नहीं बताया ।
अरे कैसी बात करती हैं आप?
कैसी क्या अच्छी बात है ये।
क्यों?
अरे आपको दिखता नहीं एक लडक़ी नीचे गिर पड़ी है। उसे उठा तो रहे नहीं हो ऊपर से ये और पूछ रहे हो- क्या नाम है?
(थोड़ा सा नाक चढाकर)
लो मेरा हाथ पकड़ो और उठाओ मुझे?
गांव की कच्ची पगडंडियों से होते हुए मानव आम के बगीचे में पहुँच गया। अभी आम का मौसम शुरू ही हुआ था कि अचानक बहुत तेज आँधी आ गयी। उसके बाद सभी ने अनुमान लगाया कि आज बहुत से कच्चे आम , जिन्हें अमिया कहते हैं, गिरी होंगी। कच्चे आम किसे पसन्द नहीं । आप बतायें क्या आपको पसन्द हैं? ज्यों ही मानव यह प्रश्न किया त्यों ही बाग के ठीक मध्य भाग से आवाज आयी। हाँ पसन्द हैं। वह उस स्वर की खोज में गया किन्तु वहाँ कोई नहीं। तभी अचानक देखा कि कोई लड़की पीत परिधान में तेजी से दौड़ती हुयी जा रही है। वह दृश्य देखने लायक था। ऐसा लग रहा था मानो बाग में एक बहुत से कच्चे आमों के बीच एक पीत वर्ण का सुन्दर आम हो। उसकी छटा शोभनीय होती है, कल्पना करें। फिर मानव उसे देख नहीं सका। और वो चली गयी।
वो कौन थी?
उसके बाद मानव आम के बाग में दिखाई देने वाली उस लड़की के बारे में सोचता है। वह किसी से पूछना भी चाहता है किन्तु संकोचवश किसी से कुछ नहीं कहता। वह सोचता है लोग कहेंगे- क्या, क्यों और कैसे? जब वह स्वयं उसके विषय में नहीं जानता तो लोगों को क्या बताएगा? अतः स्वयं ही पता लगाने का प्रयास करता है। वह दूसरे दिन प्रातः ही उस आम के बाग में पहुंच गया किन्तु वहाँ बाग के मालिक के अलावा कोई दिखायी न दिया। वहाँ बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद वह उदास मन होकर वह उसी कच्ची पगडण्डी से घर की ओर लौटने लगा। तभी अचानक कदम्ब के एक बड़े पेड़ नीचे पहुंचने पर उसने किसी लड़की के हँसने की आवाज सुनी। पहले उसने इधर उधर देखा फिर अपना भ्रम समझ आगे बढ़ने लगा। तभी वही हंसने का स्वर पुनः सुनाई दिया। इस बार मानव रुका ओर उसने ऊपर की ओर दृष्टि की। उसने देखा एक आसमानी परिधान में एक लड़की उस कदम्ब के पेड़ पर चढ़ी हुई थी। मानव ने उससे पूछा- आपका नाम क्या है? किंतु वह कुछ नहीं बोली। उसने पुनः प्रश्न किया किन्तु कोई उत्तर नहीं। वह वही लड़की है या नहीं यह भी कहा नहीं जा सकता था क्योंकि मानव ने उसे देखा ही नहीं था। इस बार भी वह उसे नहीं देख सका क्योंकि इस बार उसने दुप्पटे से अपना चेहरा छुपा रखा था। मानव ने उसे दुपट्टा हटाने के लिए कई बार कहा भी किन्तु वह न कुछ बोलने को और न दुपट्टा हटाने को तैयार हुई।
इतने में ही उसी मार्ग पर अन्य लोगों के आने की आहट सुनाई देती है और मानव वहाँ से चुपचाप चल देता है। वह अभी भी यही सोच रहा था- वो कौन थी?
मानव वापस लौट आता है। उसका मन उदास है। तभी उसका मकान मालिक आ जाता है। वह उसके उतरे हुए मुँह को देखकर पूछता है कि कोई समस्या है क्या? वह यकायक कहने लगता है कि हाँ!एक समस्या ........(फिर चुप होकर) नहीं नहीं कोई समस्या नहीं।
फिर आप चिंतित से क्यों लग रहे हैं? कुछ नहीं अधिक काम होने के कारण ऐसा लग रहा होगा। उसने उत्तर दिया।
इसके बाद वह अपने काम के निपटारे में लग जाता है उसे आज शाम तक काम पूरा करके एक रिपोर्ट तैयार करके देनी है। लेकिन वह कौन थी? यह बार बार उसे याद आ रहा था। अब उसकी रिपोर्ट तैयार हो गई थी। वह रिपोर्ट देने ही जाने वाला था कि उसका फोन बजा। फोन रिसीव किया तो पता लगा जिनको रिपोर्ट देनी है वह अपने कार्यालय पर नहीं हैं। उधर से आवाज आई कि कल आना।
वह कार्य समाप्त करके भोजन करने के बाद एक कोई उपन्यास पढ़ने लगता है और पढ़ते पढ़ते उसे कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलता।
अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया। एक बार..... दो बार...... तीन बार.......
मानव उठा और उसने दरवाजा खोला। जैसे ही उसने दरवाजा खोला वह कुछ क्षणों के लिए देखता ही रह गया। वहाँ एक लड़की सम्भवतः वही लड़की थी जिसे उसने पहले दिन आम के बाग में पीले परिधान में देखा था। वह कपड़ो के द्वारा ही यह अनुमान कर रहा था। तभी वह बोली- आपका नाम क्या है?
मानव ने कोई उत्तर नहीं दिया । वह भौचक्का सा खड़ा रहा।
उसने पुनः प्रश्न किया तब जाकर उसका ध्यान भंग हुआ। वह उसके आकर्षक व्यक्तित्व को देखता ही रहा। उसकी मुस्कुराहट देखने लायक थी। सामान्य कदकाठी वाली वह लड़की देखने में सुन्दर थी। उसने उसे अंदर बैठाया और मानव ने उससे परिचय पूछा। उसने बताया कि वह इसी गाँव में रहती है। वह एम०ए० अंतिम वर्ष में शहर के एक कन्या महाविद्यालय में पढ़ रही है। वह इसप्रकार बता ही रही थी कि मानव का फोन बज उठा; लेकिन यह क्या? जैसे ही वह उठा वह देखता है कि वह लड़की वहाँ नहीं थी। वास्तव में वह नींद में स्वप्न देख रहा था और एक बार फिर से वह यही सोच रहा था- वह कौन थी? फिर वह सो जाता है।
प्रातः काल मानव जल्दी उठा। उसे याद है कि आज ही उसे वह रिपोर्ट देकर आनी है। इसलिए वो जल्दी जल्दी सभी कार्य करके ठीक दस बजे कार्यालय पहुंच जाता है। उसकी इस आदत से अधिकारी उसकी प्रशंसा भी करता है।
यहाँ मानव की इस बात को पाठक हृदयंगम कर सकते हैं क्योंकि आजकल लड़के लड़कियों में प्रातः न उठना एक फैशन सा हो गया है।
इसके बाद वह अपने विभागीय साथियों के साथ वार्तालाप के लिए एक पार्क में पहुंचता है । मित्रों ने पूछा सारा काम निपट गया अब क्या करने का इरादा है, तो वह बोला करना क्या है? यहाँ से अपना ट्रांसफर अपने गृहनगर में करवाऊंगा।
ट्रांसफर-मित्रों ने एक स्वर में पूछा।
हाँ- अब काम निपट चुका है तो अपने गृहनगर ही पहुचा जाए।
इसके बाद अचानक मौसम ने करवट ली। काले काले बादल छा ने लगे। तभी सभी ने घर जाने के लिए एक दूसरे से विदा ली कि बारिश होने से पहले ही घर पहुंच जाएं।
मानव भी लौटकर गांव में प्रवेश कर चुका था। वह धीरे धीरे पैदल घर की ओर चल दिया। वह उसी आम के बाग के पास पहुंचा ही था कि आचनक तेज आंधी के साथ तेज बारिश आ गयी। तभी मानव ने देखा कि एक गाय का बच्चा बाग के समीप नाले में गिर पड़ा। उसने सहायता के लिए आवाज लगाई लेकिन बारिश इतनी तेज थी कि न कुछ दिखाई दे रहा था न सुनाई।
वह स्वयं उसे बचाने के लिए नाले में कूद पड़ा। बहुत देर प्रयास के बाद वह उसे बचा सकने में सफल हुआ और उसे बाहर निकाल कर छोड़ दिया वह गाय का बच्चा तेजी से दौड़ लगाता हुआ चला गया।
बारिश अब और तेज हो गई जिसके कारण चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देने लगा। पता नहीं चल पा रहा था कि रास्ता किधर है। वह सोचने लगा कि बारिश बन्द होने पर ही जाया जाये किन्तु तब तक कहाँ रुके, यह भी समझ नहीं आ रहा था। तभी उसे आम के बाग में एक मचान दिखाई दी।
वह मचान की ओर उसी पानी मे होते हुए बढ़ने लगा। जैसे ही उसने आधी दूरी पार की होगी वैसे ही उसका पैर किसी गढ्ढे में चला गया। जिसके कारण वह गिर पड़ा ओर उसके चोट लगी लेकिन वह सम्भला और आगे बढ़ने लगा।
मचान के पास पहुंच उसने आवाज दी।
कोई है क्या ?
कोई प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं हुआ।
ऐसा दो तीन बार हुआ और वह मचान पर चढ़ने लगा।
जैसे ही वह मचान पर पहुँचा तभी उसने उसमें एक लडक़ी को देखा यह वही लड़की थी जिसको मानव ने सपने में देखा था।
मानव ने कहा - आप?
उसने कहा - क्या आप मुझे जानते हैं?
नहीं- मानव ने कहा।
मानव पूरा भीग चुका था। इधर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। मचान में वास्तव में एक ही व्यक्ति के लिए जगह थी किन्तु मानव के उसमें जाने से वो और मानव काफी नजदीक आ गये थे।
अधिक देर से भीगने के कारण मानव का शरीर तप रहा था। कि तभी उस लड़की का हाथ मानव के हाथ से लग जाता है।
वह कहती है -अरे आपको तो बुखार आ रहा है।
मानव ने कहा - कोई बात नहीं ।
मुझे यहाँ से जल्दी ही जाना चाहिए
अरे बारिश तो बन्द होने दो।
नहीं, इतनी प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। आपके पिताजी होते तो बात कुछ और थी।
मुझे चलना चाहिए क्योंकि यहाँ हम दोनों अकेले हैं। किसी ने यदि देख लिया तो ठीक नहीं है और मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण आपको कोई समस्या हो।
अरे आप और मैं एक दूसरे को जानते ही नहीं तो लोग क्या कहेंगे।
वही तो कि कोई नहीं जानता ?
अरे मैं कोई बच्ची थोड़े ही हूँ।
जी, आप बच्ची नहीं है इसलिए और सोचना पड़ेगा।
अरे छोड़ो कोई और बात करो।
आपका नाम क्या है?
मानव
और आपका
तभी वो नाम बताने ही वाली थी कि अचानक एक तेज हवा का झोंका आया और दोनों एक साथ मचान से नीचे आम के बाग में गिर पड़े।।
मानव उठकर खड़ा हो जाता है।
और उस लड़की की ओर देखता है।
वह भी उसे देखती है।
मानव- क्या नाम बताया आपने?
जरा सा गुस्सा दिखाते हुए
कोई नाम नहीं बताया ।
अरे कैसी बात करती हैं आप?
कैसी क्या अच्छी बात है ये।
क्यों?
अरे आपको दिखता नहीं एक लडक़ी नीचे गिर पड़ी है। उसे उठा तो रहे नहीं हो ऊपर से ये और पूछ रहे हो- क्या नाम है?
(थोड़ा सा नाक चढाकर)
लो मेरा हाथ पकड़ो और उठाओ मुझे?
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