पीपल, बरगद और पाकड़ के वृक्षों को एक ही स्थान पर रोपित करने को " हरिशंकरी " कहते हैं। इन्हें इसप्रकार रोपित किया जाता है कि तीनों वृक्षों का एक संयुक्त छत्र विकसित हो तथा तीनों वृक्षों के तने भी एक तने के रूप में दिखाई दें। तीन देवों का स्वरूप:- इसका नाम हरिशंकरी है किंतु यह तीन देव हरि= विष्णु, शंकर=शिव व ब्रह्मा का स्वरूप हैं। इसमें पीपल विष्णु जी का, बरगद शिव जी का और पाकड़ ब्रह्मा जी का स्वरूप माने जाते हैं। वृक्षों का संक्षिप्त विवरण:- १. पीपल:- इसे संस्कृत में अश्वत्थ, पिप्पल, बोधिद्रुम, कुंजराशन तथा वैज्ञानिक भाषा में फाइकस रिलीजिओसा कहते हैं। औषधीय दृष्टि से पीपल शीतल रुक्ष, व्रण को उत्तम बनाने वाला, पित्त, कफ, व्रण तथा रक्त विकार को दूर करने वाला माना जाता है। गीता म...
समास जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक पद बनाते हैं तो उसे समास कहते हैं। समस्त पद दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने पद को समस्त पद कहते हैं, समास किये गए पदों को समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं। जैसे- रामराज्य समास विग्रह समस्त पद में प्रयुक्त शब्दों को पुनः विभक्ति सहित पृथक करने की क्रिया को समास विग्रह कहते हैं। समास के चार भेद होते हैं। १. अव्ययीभाव २. द्वंद्व ३. बहुव्रीहि ४. तत्पुरुष ये दो उपभेद तत्पुरुष समास के ही हैं।अतः सब मिलकर छः भेद हो जाते हैं। ५. द्विगु ६.कर्मधारय क्रमशः मनोज कुमार झा अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की कृतियाँ अधखिला फूल चुभते चौपदे चोखे चौपदे पारिजात प्रद्युम्न विजय प्रियप्रवास रसकलश रुक्मिणी परिणय वैदेही वनवास १४. हिन्दी समास १.अव्ययीभाव समास जिस समास में पूर्व(पहला) पद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। समास का पहला पद अव्यय होता है और दूसरा पद संज्ञा। समस्त पद अव्यय होता है अव्यय ,वे शब्द होते हैं जो लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार नही बदलते। संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद में भी अव्ययीभाव समास होता है...
१. भाषा - सार्थक ध्वनियों का वह समूह जिसके द्वारा हम अपने विचारों को बोलकर या लिखकर दूसरों के समक्ष रख सकते हैं और उनके विचारों को जान सकते हैं। भाषा के दो प्रकार हैं १.लिखित भाषा २.मौखिक भाषा लिपि- भाषा के लिखित रूप के लिए प्रयोग में आने वाले ध्वनि चिन्हों के लिखने के ढंग को लिपि(स्क्रिप्ट) कहते हैं। व्याकरण वह शास्त्र ,जिसके माध्यम से भाषा को शुद्ध लिखने शुद्ध बोलने शुद्ध पढ़ने के नियमों का बोध होता है। व्याकरण के तीन अंग हैं १. वर्ण विचार २.शब्द विचार ३.वाक्य विचार मनोज कुमार झा जयतु हिन्दी क्रमशः हिन्दी तुम्हारे प्रति मैं कृतज्ञ हूँ। २. हिन्दी वर्ण(अक्षर)- जिसे खण्डित न किया जा सके, उसे वर्ण कहते हैं। वर्ण के तीन भेद----– १.स्वर २.व्यंजन ३.अयोगवाह १.स्वर (vowel)- जिन वर्णो के उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता नही ली जाती , वे स्वर हैं। हिंदी में ग्यारह स्वर हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ स्वर के तीन भेद- १.हृस्व स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, हृस्व स्वर कहलाते हैं। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।...
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